अलग अलग धर्मो में अलग अलग ही तरह की बाते होती है और हर धर्म की अपनी मान्यताये भी होती है लेकिन सभी का सन्देश तो एक ही होता है जिसमे वो लोग को जोड़ने की बात करते है और साथ ही साथ में मस्जिद या गुरुद्वारे को लेलो तो वहाँ पर भी ऐसी ही बात होती है लेकिन अब अलग अलग लोगो की मान्यताये और काम करने के तरीके थोड़े से अलग जरुर होते है बाकी काफी चीजे होती है जो एक सी नजर आती है.
और इसी कड़ी में हम आपको ये बतायेंगे कि इन तीनो ही मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारों से सभी में ऊपर गुम्बद एक सा क्यों बना होता है? इसके पीछे कुछ तो कारण होता ही होगा।दरअसल हर धर्म में अपनी अपनी एक स्थापत्य कला होती है जिसमे वो रम जाते है लेकिन कुछ कुछ समानताये भी होती है और ये एक गुम्बद होता है जो ऊपर से कुछ कुछ आसमान जैसा दिखाई देता है और इसका अर्थ बिलकुल आसमान के सामान ही लिया जाता है और उसी के परिपेक्ष में इसका निर्माण भी किया जाता है।
गुम्बद को आसमान के जैसा बनाया जाता है जिसका अर्थ होता है यहाँ पर ही ऊपर वाला है और यहाँ पर नीचे खड़े होकर अपनी प्रार्थानाये और अपनी दुआएं भेजी जाती है जो यहाँ जाती है और उस दुनिया को चलाने वाले को छूकर के दुबारा लौटकर के आती है तो इसी मंशा के साथ इन गुम्बदो को निर्माण करना शुरू किया गया और आज आप देखेंगे तो दुनिया के हर मंदिर मस्जिद या फिर गुरुद्वारे में इस तरह के गुम्बद बने हुए मिलेंगे जो कही ना कही बताते है कि सभी धर्मो का मूल एक ही है चाहे दुनिया उसे कितना ही अलग बताती हो।
ऐसा नही है कि सभी स्थापत्य कलाए एक ही जगह पर विकसित हुई है सभी का उद्भव अलग अलग रहा है लेकिन इसके बावजूद इन्हें खूब पसंद किया जाता रहा है और सभी ने अपने अपने तरीके से इन्हें खूब विकसित भी कर लिया है।